|| पंढरीचीवारी ||
एक खूपच सुंदर कविता
टाळ मृदुंगाची | थाप शांत झाली |
वीणा गळ्यातली | विरामली ||
सुना दिवेघाट | सुनी पायवाट |
चंद्रभागा काठ | सुना दिसे ||
राम कृष्ण हरी | नाम संकीर्तन |
वारीचे रिंगण | कुठे गेले ||
हातच्या चिपळ्या | कपाळीचा टिळा |
अन् तुळशीमाला | लुप्त झाल्या? ||
अकस्मात कैसी | पंढरीची वारी |
अखंड निर्झरी | स्तब्ध झाली ||
वैश्विक संकट | पुढती उभे हे |
काही केल्या ते हे | हटेचिना ||
काय झाली चूक | घडले का पाप |
ज्यामुळे हा कोप | ओढावला ||
भक्तांचा कैवारी | तू सावळ्या हरी |
संकटा निवारी | विठुराया ||
कितीएक जाती | मरणाच्या दारी |
तूच आम्हा तारी | पांडुरंगा ||
ऐकून विनंती | डोळा आले पाणी |
बोले गोड वाणी | चक्रपाणी ||
किती एक वर्ष | तुम्ही वारकरी |
येता या पंढरी | अखंडित ||
काळ असा आला | ज्याने घात केला |
वारीचा पहिला | नेम चुके ||
नका करू चिंता | धीर धरा आता |
जीवा आटापिटा | करू नका ||
ज्ञाना नाम्या तुका | कीर्तनी बोलला |
विसरी का त्यांची | शिकवणी ||
वारी नोहे साध्य | ते साधन होत |
अंतरीची ज्योत | जागी करा ||
पंढरपुरात | पंढरीही नाही |
अंतरंगात पाही | दिसेल ती ||
नका शांत करू | टाळ मृदुंगाची थाप |
गा रामकृष्ण जप | मनोमनी ||
अखंड ही वारी | खंड तिज नाही |
झाले जरी काही | होणार ती ||
एवढेच आता | होईल या बारी |
पंढरीची वारी | मानसिक ||
कित्येक शतके | तुम्ही भेट दिली |
आता माझ्यावरी | वेळ आली ||
यावर्षी आगळी | पंढरीची वारी |
प्रत्येकाच्या दारी | विठू येई ||
2 टिप्पण्या
Mast hitesh...☺️👍👌👌
उत्तर द्याहटवाखूप छान....
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